ऋषिकेश: उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां कई सारे प्राचीन मंदिर व घाट स्थापित हैं, जो मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. इन्हीं प्रसिद्ध घाटों में से एक ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट भी है, जो तीन नदियों का संगम है. यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है. इस त्रिवेणी घाट के पास ही में एक कुण्ड स्थित है. इसे ऋषि कुण्ड के नाम से जाना जाता है. यह कुण्ड एक दिव्य कुंड है, जो मां यमुना का आशीर्वाद माना जाता है. ऋषिकेश घूमने आए पर्यटक यहां इस कुण्ड के दर्शन करना नहीं भूलते हैं.

ये है ऋषिकेश का दिव्य कुण्ड
लोकल 18 के साथ खास बातचीत में महंत श्री गोपाल गिरी ने बताया कि देश ही नहीं विदेश से भी लोग यहां इस दिव्य कुंड के दर्शन करने आते हैं. इस कुण्ड के पास ही में भगवान राम और माता सीता का एक मंदिर स्थापित है, जिसे रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का परछाई इस कुण्ड में साफ दिखाई देती है. इस कुंड की एक कथा काफी प्रचलित है. मान्यता है कि ऋषि कुब्जा मृग ने यहां तपस्या की है. वे प्रतिदिन प्रातः काल यमुना स्नान के लिए जाया करते थे.

दूर-दराज से दर्शन के लिए आते हैं पर्यटक
महंत गोपाल गिरी ने बताया कि एक दिन भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश से अपने पुत्र स्वामी कार्तिकेय से मिलने जा रहे थे. उसी समय माता पार्वती की नजर ऋषि कुब्जा मृग पर पड़ी. उन्होंने जब भगवान शिव से पूछा तो उन्हें पता चला कि यह प्रत्येक दिन यमुना स्नान के लिए जाते हैं. यह सब सुन माता पार्वती ने ऋषि पर अपनी कृपा बरसाई और यमुना मां को आदेश दिया कि वे ऋषि के निवास स्थान पर ही चली जाएं. ऋषि के पहुंचते ही यमुना मां उनके कमंडल में समा कर उनके साथ ऋषि कुण्ड आ गई. तब से मां यमुना इस कुण्ड में विराजमान हैं.