दरभंगा की भूमि अपने साथ धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास समेटे हुए है. यहां प्रभु श्रीराम के साथ माता अहिल्या और गौतम ऋषि का भी कुंड है. यह जाले में है. जहां गौतम ऋषि कुंड में कई सारी कहानी आज भी छुपी हुई है. जो अविश्वसनीय और अकल्पनीय राज है. जिनमें से एक यहां मौजूद पातालगंगा कुंड भी है. बताया जाता है कि यह गौतम ऋषि आश्रम सतयुग से जुड़ा हुआ. यही वह जगह है जहां गौतम ऋषि तपस्या किया करते थे. वह स्थान कभी सूखता नहीं है. आइए जानते हैं इसकी कहानी.

जानिए पातालगंगा कुंड की कहानी
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए गौतम ऋषि आश्रम के पूर्व पुजारी राम बिहारी शरण बताते हैं कि यहां 35 वर्षों तक मुख्य पुजारी के रूप में पूजा अर्चना की है. जैसा हमारे पूर्वज बतलाते थे कि गौतम ऋषि जब यहां यज्ञ करवा रहे थे. तो ब्रह्मा जी ने कहा कि यहां बढ़िया से यज्ञ संपन्न होना चाहिए. तो उस वक्त इस वीरान जंगल में जल की घोर कमी थी. तो उन्होंने वरुण देवता को आदेश दिया कि यहां इतना जल हो कि कभी भी यहां जल की कमी ना हो सके. यहां मौजूद अभी जो तालाब है, उसमें वह कुंड मौजूद है, जो कभी भी नहीं सूखता है. बताया जाता है कि उस तालाब में पांच पातालगंगा कुंड आज भी मौजूद है. उन तमाम पांचों पातालगंगा कुंड के जल का स्वाद अलग-अलग है.
बस बांस से हिला देने से भर जाता है पानी
आगे यहां के पूर्व मुख्य पुजारी बताते हैं कि जब बाढ़ में पूरी गंदगी चारों तरफ से आकर इस तालाब में भर जाती है, तो उसके बाद इसकी सफाई हमलोग करते हैं. पूरी तरह से तालाब को सुखाकर सफाई करने के बाद सिर्फ एक बांस लेकर उसमें डालकर हिला देते हैं तो अपने आप पानी भर जाता है. बताते चले कि यहां कई अनकही कहानी आज भी छुपी हुई है. यहां भव्य गौतम ऋषि का आश्रम आज मौजूद है, जो सतयुग में गौतम ऋषि यहां झोपड़ी नुमा आश्रम बनाकर अपनी तपस्या किया करते थे.