जयपुर । राजधानी जयपुर समेत प्रदेशभर में महाशिवरात्रि का पर्व आज सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग, शिवयोग और श्रवण नक्षत्र के संयोग में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया अलसुबह से ही शिव मंदिरों में भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया श्रद्धालुओं ने जल, दूध से भगवान शिव का अभिषेक कर चंदन, बिल्वपत्र, गाजर-बेर, धूप-दीप, नैवेद्य, आंक-धतुरा, भांग आदि से पूजा अर्चना कर घर-पररिवार की खुशहाली की कामना कर रहे हैं। इस दौरान माहौल में हर-हर महादेव का उद्घोष गूंजता रहा। शहर के शिव मंदिरों में रात्रि में शिव परिवार का शृंगार कर मनमोहक झांकियां सजाई जाएगी।
शहर के चौड़ा रास्ता स्थित ताडक़ेश्वर महादेव, बनीपार्क स्थित जंगलेश्वर महादेव, क्वींस रोड स्थित झाडख़ंड महादेव, झोटवाड़ा रोड स्थित चमत्कारेश्वर महादेव, बनीपार्क के जंगलेश्वर महादेव, छोटी चौपड़ स्थित रोजगारेश्वर महादेव, रामगंज के ओंडा महादेव, विद्याधर नगर के भूतेश्वर महादेव सहित अन्य बड़े मंदिरों में अलसुबह से भगवान शिव की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की रैला उमडऩा शुरू हो गया था। हाथों में पूजा सामग्री और जुबान पर शिव नाम लिए श्रद्धालु कतारों में अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। शिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु गन्ने का रस, दूध व जल, शहद से अभिषेक किया। धौलपुर में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर जिले भर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह 4 बजे से सैंपऊ महादेव मंदिर, अचलेश्वर महादेव, मंदिर चोपड़ा महादेव मंदिर और भूतेश्वर महादेव मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. सैंपऊ महादेव मंदिर पर आठ दिवसीय लक्खी मिले की भी शुरुआत हो गई. सुबह 4:30 मंगला आरती के बाद भारी तादाद में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचे कावडिय़ों की ओर से हरिद्वार, सोरों और कर्णवास से गंगाजल भरकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया गया. मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी तादाद में पुलिस बल तैनात किया है। सैंपऊ के महादेव मंदिर का शिवलिंग लगभग 700 वर्ष पुराना है. करीब 250 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण तत्कालीन रियासत के महाराज उदयभान सिंह के रिश्तेदारों ने कराया था. पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान भोलेनाथ सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. अविवाहित युवतियों को मन चाहे वर की प्राप्ति होती है. महादेव मंदिर में साल में दो बार सावन और फाल्गुन में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है. मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।