मधुबनी. यूं तो देश दुनिया में बजरंग बली के हजारों मंदिर हैं. लेकिन ऐसे मंदिर इक्का दुक्का ही हैं जहां पूरा पर्वत उठा लेने वाले हनुमान खुद लेटी अवस्था में हों. एक मंदिर प्रयागराज में संगम किनारे है. दूसरा मंदिर बिहार के मधुबनी में है.

मधुबनी का मतलब ही संस्कृति से है. यहां का इतिहास इतना रोचक और समृद्ध है कि लोग मिथिलांचल की कहानी अपने घरों में सुनाते हैं. हम जो आज आपको बताने वाले हैं वो अपने आप में अद्भुत है. मधुबनी के राजनगर स्थित नवलखा कैंपस में हनुमानजी की एक ऐसी प्रतिमा स्थापित है जो सोई हुई अवस्था में है. वर्षों से उसकी पूजा अर्चना उसी रूप में की जा रही है.

हनुमान हैं सोए,खड़े हैं श्रीराम
नवलखा कैंपस स्थित इस मंदिर में भगवान श्रीराम खड़े हैं. और उनके भक्त प्रभु हनुमान सोए हुए हैं. कहा जाता है दरभंगा महाराजा ने 17 वीं शताब्दी के दौरान इस कैंपस की स्थापना की थी. इसमें कुल 11 मंदिर हैं. एक मंदिर हनुमान का है. वैसे तो समूचा नवलखा कैम्पस घूमने लायक है लेकिन इस मूर्ति को देखने लोग दूरदराज से आते हैं.

भूकंप ने किया तबाह
वर्ष 1934 में आए भयानक भूकंप ने मिथिलांचल समेत इस जगह को भी कई जख्म दिए. स्थानीय लोग बताते हैं कि 1934 से पहले यहां हनुमान की सीधी मूर्ति लगी हुई थी,लेकिन भूकंप आने के बाद मूर्ति गिर गई.फिर पंडितों की सलाह के बाद इसी रूप में हनुमान की पूजा की जाने लगी. तबसे लोग बजरंगबली को इसी रूप में पूजते आ रहे हैं. मंदिर परिसर में हनुमान के साथ-साथ श्रीराम की तस्वीर लगी हुई है.

रोज शाम को भक्त देते हैं हाजिरी
मंदिर में पूजा अर्चना हमेशा की जाती है,लेकिन शाम के वक्त यहां का माहौल अद्भुत रहता है. शाम की आरती में स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज से आए श्रद्धालु और एसएसबी बटालियन मौजूद रहती है. सभी मिल कर यहां आरती गाते हैं. इस मंदिर परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसएसबी की 18वीं बटालियन को सौंपी गई है.

कैसे पहुंचें
आप भी अगर हनुमान के इस रूप के दर्शन करना चाहते हैं तो मधुबनी से बायरोड या ट्रेन के जरिए राजनगर जा सकते हैं. राजनगर रेलवे स्टेशन से इस परिसर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर है.