शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन माता सीता (जानकी) का पृथ्वी पर अवतरण माना जाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार साल 2024 में 16 मई को सीता नवमी मनाई जाएगी. जबकि कहीं-कहीं कल 17 मई को भी सीता नवमी मानी गई है. मध्य प्रदेश के खरगोन में भी मंडलेश्वर के प्राचीन जूना श्रीराम मंदिर में कल 17 मई शुक्रवार को ही जानकी नवमी मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि इस साल सीता नवमी 16 मई, गुरुवार को सुबह 6 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 17 मई, शुक्रवार को 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगी.

सीता नवमी के दिन व्रत, पूजन और दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है. शास्त्रों की मानें तो इस दिन किया गया दान चारधाम तीर्थ के बराबर होता है. व्रत रखकर सुहाग की वस्तुएं जरूरतमंदों को दान करने से सौभाग्य और सुख में वृद्धि होती है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए छोटे-छोटे दान का फल कन्यादान के बराबर होता है.

सीता माता की उत्पत्ति
खरगोन के प्रसिद्ध ज्योतिषी गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. बसंत सोनी (+919826078911) ने लोकल 18 को बताया कि रामायण के अनुसार मिथिला में बारिश नहीं होने से राज्य सूखा पड़ा था. यह देख राजा जनक बेहद चिंतित थे. उन्हें ऋषियों ने इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एक यज्ञ है. उसके बाद खेत में हल जोतने की सलाह दी. ऋषियों के अनुसार राजा जनक ने वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन यज्ञ किया. फिर खेत में हल चलाने लगे तभी उनका हल एक कलश/घड़े से टकराया. देखा तो उसमे एक सुंदर कन्या थी. उस कन्या को हाथ में उठाते ही राज्य में बारिश हो गई. राजा जनक निसंतान थे. उन्होंने इस कन्या को पुत्री के रूप में स्वीकार किया और नाम सीता रखा. इसी दिन सीता का अवतरण दिवस माना जाता है.

महादान के बराबर मिलेगा पुण्य
ज्योतिषी ने दुर्गा सप्तशती के अनुसार सीता मां दुर्गा का ही रूप है. हिंदू धर्म में नवमी का बड़ा महत्व माना जाता है. सीता नवमी को राम नवमी की तरह ही पवित्र और शुभ माना जाता है. इस दिन विधि-विधान से प्रभु श्रीराम और माता सीता की पूजा करनी चाहिए. मांगलिक गीत गाए जाते है. इससे वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और महादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन रामायण का पाठ करना भी काफी शुभ माना जाता है. सीता को धरती पुत्री भी कहां गया है. किसान भी इस दिन अपने खेत में पूजन करते है तो पैदावार अच्छी होती है. इसके साथ ही निसंतान दंपत्ति इस दिन सीता पूजन करते है तो उन्हें भी संतान की प्राप्ति हो सकती है.