कीव। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि 2022 के रूस के साथ युद्ध के लिए यूक्रेन जिम्मेदार है, यूक्रेन को रूस से टकराव शुरू नहीं करना चाहिए था। इस पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति रूस के दुष्प्रचार के जाल में फंस गए हैं।

ट्रंप ने कहा, कॉमेडियन वोलोदिमीर जेलेंस्की
ट्रंप के अधिकारियों को उन्हें ज्यादा और सही सत्य बताना चाहिए। इसके जवाब में ट्रंप ने जेलेंस्की को बिना चुनाव वाला तानाशाह बताया है। इंटरनेट मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने कहा, कॉमेडियन वोलोदिमीर जेलेंस्की, उस अमेरिका से बात कर रहे हो जिसने तुम्हारे युद्ध में 350 अरब डॉलर खर्च कर दिए और इसके बाद भी तुम जीत नहीं सकते हो।

यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप की टिप्पणी का आधार वह समझ नहीं पाया- फ्रांस
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ट्रंप की बात को सही बताते हुए कहा, यूक्रेन की सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने की मांग का अमेरिका द्वारा समर्थन किए जाने से ही 2022 में युद्ध शुरू हुआ था। लेकिन फ्रांस ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप की टिप्पणी का आधार वह समझ नहीं पाया है।

जबकि यूक्रेनी टीवी चैनल से साक्षात्कार में जेलेंस्की ने कहा, दुर्भाग्य से राष्ट्रपति ट्रंप रूसी दुष्प्रचार के जाल में फंस गए हैं। जेलेंस्की ने कहा, अमेरिका ने अभी तक यूक्रेन को 67 अरब डालर के हथियार और 31.5 अरब डालर देश चलाने में सहयोग के तौर पर दिए हैं। जबकि अमेरिका चाहता है कि बदले में उसे 500 अरब डॉलर कीमत के खनिज दिए जाएं।

संघ रूस पर इस बार 16 वीं बार प्रतिबंध लगाएगा
यह गंभीर बात नहीं है और वह (जेलेंस्की) इस तरीके से अपना देश नहीं बेचेंगे। वह इन सभी बातों को यूक्रेन के लिए नियुक्त अमेरिकी दूत कीथ केलोग से वार्ता में रखेंगे। इस बीच 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के समर्थन में रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है। संघ रूस पर इस बार 16 वीं बार प्रतिबंध लगाएगा।

रूस और अमेरिका के बीच वार्ता सऊदी अरब में ही क्यों
जो बाइडन के कार्यकाल में सऊदी अरब ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहयोगी के तौर पर अपनी निर्भरता को अमेरिका से काफी कम किया। अधिकांश वैश्विक मामलों में सऊदी अरब ने तटस्थ रुख अपनाया। चीन और रूस जैसे देशों से नजदीकी भी बढ़ाई। डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने पर सऊदी ने खुले तौर पर स्वागत किया। इस तटस्थ रूख की वजह से रूस को भी सऊदी अरब में बैठक आयोजित करने पर कोई आपत्ति नहीं थी।