विधानसभा में गूंजा अवैध बजरी खनन का मुद्दा: तीखी नोकझोंक के बाद कांग्रेस का वॉकआउट

विधानसभा: प्रदेश में अवैध बजरी खनन का मामला पिछले दिनों राजस्थान हाईकोर्ट में भी उठा था। दो दिन पहले कोर्ट ने इस मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाते हुए सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और केंद्रीय बलों की मदद लेने का सुझाव दिया था। इसे लेकर बुधवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने स्थगन प्रस्ताव रखा, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया। हालांकि जूली को इस विषय पर अपनी बात रखने की अनुमति दी गई। टीकाराम जूली ने लगाए गंभीर आरोप: टीकाराम जूली ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में हर दिन एक करोड़ रुपए का अवैध बजरी खनन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में सत्ता पक्ष के 20 से अधिक विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध खनन का मुद्दा उठाया है। जूली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेदम के विधानसभा क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां 433 खनन पट्टे जारी किए गए हैं, इसके बावजूद अवैध खनन के 322 मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने सरकार से इस पर जवाब देने की मांग की।
हंगामे के बीच कांग्रेस का वाकआउट
जब सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं आया तो टीकाराम जूली और कांग्रेस विधायकों ने विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। सदन में पहले से ही कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस चल रही थी, जिसे देखते हुए स्पीकर ने जूली को बैठने के लिए कहा। लेकिन जब कांग्रेस विधायकों को सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्होंने सदन से वाकआउट करने का फैसला किया।
सरकार का पलटवार
कांग्रेस के वाकआउट के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विपक्ष पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वे बिना किसी ठोस आधार के सदन से वाकआउट कर गए। जोगाराम पटेल ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के राज में भी अवैध बजरी खनन जोरों पर था और पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाएं आम बात थीं।
अवैध बजरी खनन को लेकर हाईकोर्ट ने क्या कहा
17 मार्च को प्रदेश में अवैध बजरी खनन से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए बजरी चोरी, अवैध खनन और परिवहन से जुड़े माफियाओं के कारण पुलिसकर्मियों की मौत पर गंभीर चिंता जताई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार इस समस्या पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वह चाहे तो सीआरपीएफ या किसी अन्य एजेंसी की मदद से इन मामलों की जांच कर सकती है। सीबीआई खुद तय करेगी कि उसे कितने मामलों की जांच करनी है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की एजेंसियों को सीबीआई को पूरा सहयोग देने के निर्देश दिए। इसके अलावा हाईकोर्ट ने सीबीआई से कहा कि जांच से जुड़ी रिपोर्ट की एक कॉपी राज्य सरकार को भी उपलब्ध कराई जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अवैध बजरी खनन और खनन माफियाओं के कारण पुलिसकर्मियों की मौत के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में कार्रवाई रिपोर्ट 2 अप्रैल तक कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए।