बीजेपी अध्यक्ष ने पीएम से की मुलाकात, नई टीम के साथ राजस्थान के विकास से जुड़े अहम मुद्दों पर की चर्चा

जयपुर: राजस्थान भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह मुलाकात संसद भवन स्थित पीएम कार्यालय में हुई, जहां प्रदेश संगठन, आगामी रणनीति और राजस्थान के विकास से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा हुई। इस मुलाकात को राजस्थान भाजपा के राजनीतिक और संगठनात्मक भविष्य के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। इस मुलाकात के बाद इस बात पर चर्चा हो रही है कि मदन राठौड़ की नई टीम में कौन से चेहरे शामिल होंगे और कौन बाहर होंगे? माना जा रहा है कि अप्रैल 2025 में भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हो सकती है। नई टीम में 50 फीसदी से ज्यादा पुराने नेता बाहर होंगे और ज्यादातर नए चेहरों को मौका मिलेगा।
पुरानी टीम से कौन हो सकता है बाहर?
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की नई टीम में कई मौजूदा नेताओं को जगह मिलने की संभावना कम है। इनमें प्रदेश उपाध्यक्ष के लिए चुन्नीलाल गरासिया (वर्तमान में राज्यसभा सांसद) और सीआर चौधरी (किसान आयोग के अध्यक्ष) का नाम शामिल है, जबकि प्रदेश महामंत्री पद पर दामोदर अग्रवाल (भीलवाड़ा से सांसद) और ओमप्रकाश भड़ाना (देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष) का बाहर होना तय माना जा रहा है। श्रवण सिंह बागड़ी और संतोष अहलावत को कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है। इसके अलावा नारायण पंचारिया को भी नई जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है। भाजपा सूत्रों के अनुसार मौजूदा उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच को किसी बोर्ड या आयोग का सदस्य बनाया जा सकता है। इसके अलावा 13 प्रदेश मंत्रियों में से अधिकांश को नई टीम में जगह नहीं मिलेगी।
किसे रखा जा सकता है?
मदन राठौड़ ने एक बयान में स्पष्ट किया है कि कुछ अनुभवी नेताओं को भी टीम में रखा जाएगा। इन नेताओं के प्रदर्शन और समीकरण को देखते हुए इन्हें नई कार्यकारिणी में रखा जा सकता है। इनमें प्रमुख नाम सरदार अजयपाल सिंह (प्रदेश उपाध्यक्ष), बाबा बालकनाथ (प्रदेश उपाध्यक्ष), प्रभुलाल सैनी (प्रदेश उपाध्यक्ष), ज्योति मिर्धा (प्रदेश उपाध्यक्ष) और जितेंद्र गोठवाल (प्रदेश महासचिव) हैं। वहीं, यह भी खबर आ रही है कि कुछ मौजूदा नेताओं को संगठन में बड़ा पद मिल सकता है। इनमें सबसे प्रमुख नाम मोतीलाल मीना का है, उन्हें फिर से प्रदेश महासचिव बनाया जा सकता है। वे पहले भी इस पद पर रह चुके हैं और संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कुछ मौजूदा प्रदेश मंत्री प्रदेश उपाध्यक्ष बन सकते हैं।