महाराष्ट्र में शिंदे के 20 विधायकों की वाई-सुरक्षा वापस ली, अटकलों का बाजार गर्म
मुंबई। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में दरार पढ़ने की अटकलों के बीच सीएम देवेंद्र फडणवीस के अधीन गृह विभाग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 20 विधायकों की वाई-सुरक्षा वापस ले ली है। हालांकि बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के कुछ विधायकों की सुरक्षा भी कम की गई है।
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों ने बताया कि इन विधायकों को वाई-सुरक्षा कवर एक अतिरिक्त भत्ते के रूप में दिया गया था, जबकि वे मंत्री नहीं हैं। इन विधायकों को 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से अलग होने के बाद प्रदान किया था, जिसके कारण महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी। इस फैसले से शिंदे सेना और बीजेपी के बीच चल रहा तनाव और बढ़ने की संभावना है और इस नवीनतम कदम को फडणवीस ने अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए एक रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है।
विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के कुछ महीनों बाद सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच कलह पर कटाक्ष करते हुए, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया कि महायुति वैलेंटाइन माह मना रही है। नहीं। बीजेपी और शिंदे सेना के बीच गतिरोध, जो रायगढ़ और नासिक के लिए संरक्षक मंत्री पदों को लेकर शुरू हुआ था। एक मुद्दा जो अभी भी अनसुलझा है, अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है।
पिछले महीने दावोस में विश्व आर्थिक मंच शिखर सम्मेलन में रवाना होने से पहले सीएम फडणवीस ने एनसीपी के तटकरे (श्रीवर्धन) को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नामित कर दिया था। हालांकि यह एकनाथ शिंदे को अच्छा नहीं लगा, जो पहले से ही सीएम पद से वंचित होने से नाराज थे। शिंदे इस पद के लिए अपनी पार्टी के किसी नेता को इस पद पर बैठना चाहते थे, क्योंकि शिवसेना का जिले में काफी असर है। हालांकि, शिंदे को शांत करने के लिए तटकरे की नियुक्ति रोक दी गई।
सूत्रों ने बताया कि एकनाथ शिंदे सीएम फडणवीस के साथ मंच साझा करने से भी बचते दिख रहे हैं। पिछले महीने शिंदे, सीएम फडणवीस द्वारा बुलाई गई नासिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। वे पिंपरी-चिंचवाड़ पुलिस आयुक्त कार्यालय के उद्घाटन समारोह में भी अनुपस्थित रहे। यह सब वजह महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म कर रही हैं।