महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पंडित अशोक शास्त्री इस व्रत के कुछ नियम बता रहे हैं.

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

    महाशिवरात्रि का व्रत रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है.
    व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए.
    स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
    व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
    भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र आदि अर्पित करने चाहिए.
    व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
    फलाहार या फिर केवल दूध का सेवन किया जा सकता है.
    व्रत के दिन क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से दूर रहना चाहिए.
    व्रत के दिन भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए.

महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह भगवान शिव का प्रिय बनता है.

महाशिवरात्रि व्रत की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. भगवान शिव को धूप, दीप, नैवेद्य आदि भी अर्पित किए जाते हैं. भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी किया जाता है.

महाशिवरात्रि व्रत के लाभ
महाशिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह भगवान शिव का प्रिय बनता है.