जिस तरह हेल्दी रहने के लिए सेहत को देखभाल की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह स्किन को हेल्दी रखने के लिए इसका ध्यान रखना जरूरी होता है। हालांकि, दिनभर की भागदौड़ में अक्सर स्किन को वो देखभाल नहीं मिल पाती, जिसकी उसे जरूरत होती है। ऐसे में रात का समय सेल्फ केयर के लिए बेस्ट समय होता है। ये एक ऐसा समय होता है, जब आप सिर्फ अपने बारे में सुकून से सोच सकते हैं। इसलिए सोने से पहले सोशल मीडिया स्क्रोलिंग करें बंद और अपनी बेडटाइम रूटीन को सेल्फ केयर रूटीन में बदलें। इस दौरान अपनाएं कुछ ऐसी ब्यूटी टिप्स, जिससे आप दिखें हमेशा जवां और स्वस्थ। आइए जानते हैं कि ऐसी ही कुछ बेड टाइम रूटीन के बारे में-

क्लींजिंग: दिन भर की धूल मिट्टी और मेकअप को साफ करने के लिए क्लींजिंग एक ऐसा जरूरी स्टेप है, जिसे प्रतिदिन नियमित रूप से करना ही चाहिए। ये पोर्स क्लॉग होने से बचाता है और स्किन केयर प्रोडक्ट को बेहतर तरीके से अब्जॉर्ब होने में मदद करता है।

हाइड्रेट: स्किन में नमी सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदरूनी होनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि ह्यूमिडिफायर की मदद से स्किन की नमी बरकरार रखें।

स्पॉट ट्रीट: ओवरनाइट मास्क का उपयोग करें। ये ऐसे एक्टिव चीजों से बना हुआ होता है, जो सोते समय लगाने से ये लंबे समय तक काम करता है। किसी खास जगह पर मौजूद स्पॉट भी खत्म होते हैं।

एक्सफोलिएट: स्किन की डेड सेल को वॉश करने के लिए रात का समय बेहतर माना जाता है। एक्सफोलिएट करने वाले होममेड या किसी भी स्क्रब का इस्तेमाल करने से स्किन की डेड सेल साफ होती हैं और स्किन की नेचुरल रिपेयर होने की प्रक्रिया बेहतर होती है।

फुट केयर: पैरों में नमी को लॉक करना बेहद जरूरी है, जिससे ये फटने न पाए। इसके लिए कोई अच्छी फुट क्रीम या मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करें। पैरों में इसे लगाने के बाद मोजे पहनें जिससे रात भर में ये नमी को बेहतर तरीके से एब्जॉर्ब कर सके।

हेयर केयर: सेल्फ केयर ब्यूटी रूटीन का बेहद अहम हिस्सा है बालों का ख्याल रखना। इसके लिए जरूरी है कि हर रात सोने से पहले अपने पिलो कवर को चेक करें, इसे साफ रखें। साफ पिलो कवर से मुंहासे भी दूर होते हैं। बालों को समेटने के लिए किसी सैटिन स्क्रंची का इस्तेमाल करें और इसे बहुत टाइट बांध कर न सोएं।

ब्यूटी स्लीप: हर प्रकार के केयर के बाद जरूरी है कि कम से कम 8 घंटे की ब्यूटी स्लीप जरूर लें। इससे स्किन को रिपेयर होने का भरपूर मौका मिलता है, कॉलेजन प्रोडक्शन की प्रक्रिया बेहतर तरीके से संचालित हो पाती है और स्किन की इलास्टिसिटी बरकरार रहती है।