भोपाल । बिजली की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और मध्यप्रदेश में जितने भी ऊर्जा संयंत्र हैं, वे पुराने हो चुके हैं, जिनकी क्षमता भी कम हो गई है। बीते 5 साल में ही 4 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली की मांग में इजाफा हुआ है, जिसके चलते अब 4 नए थर्मल पॉवर प्लांट स्थापित किए जाना है, जिसके लिए केन्द्र सरकार भी मंजूरी दे चुका है और इसमें लगने वाले कोयले की भी आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। हालांकि थर्मल पॉवर प्लांट से प्रदूषण भी बढ़ता है और इस क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों ने इसका विरोध भी किया है। हालांकि अभी प्रदेश में 7 थर्मल पॉवर प्लांट पहले से स्थापित हैं।
एक तरफ सरकार इसीलिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में जुटी है, क्योंकि इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता। दूसरी तरफ थर्मल पॉवर प्लांट चूंकि कोयले से चलते हैं, लिहाजा फ्लाई ऐश सहित अन्य  प्रदूषण फैलाने वाले तत्व उत्सर्जित होते हैं और यही कारण है कि थर्मल पॉवर प्लांटों को दुनियाभर में कॉर्बन-डाई-ऑक्साइड के स्तर को बढ़ाने वाला माना जाता है। बावजूद इसके प्रदेश में 4100 मेगावॉट की क्षमता वाले 4 नए थर्मल पॉवर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं, क्योंकि बिजली की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है और अब यह मांग 18 हजार मेगावॉट को भी पार कर चुकी है और इन नए पॉवर प्लांटों में 25 हजार करोड़ का निवेश का होगा। इसमें इंदौर संभाग के खंडवा जिले के सिंगाजी के अलावा उमरिया के बीरसिंहपुर, बैतुल जिले के सारणी और अनूपपुर के चाचई में ये थर्मल पॉवर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। अभी प्रदेश में 7 थर्मल पॉवर प्लांट हैं। उनका भी हालांकि विस्तार किया जा रहा है। अमरकंटक, सतपुड़ा, संजय गांधी के अलावा श्री सिंगाजी में भी पहले से ये थर्मल पॉवर प्लांट स्थापित हैं। मगर चूंकि ये प्लांट पुराने हो गए। लिहाजा इनकी उत्पादन क्षमता भी घट गई है। हालांकि साढ़े 4 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली इन थर्मल मेगा प्लांटों से अभी मिल रही है। मगर चूंकि लगातार बिजली की मांग बढ़ रही है, इसलिए आपूर्ति में भविष्य में दिक्कत न हो। केन्द्रसरकार ने इनकी मंजूरी के साथ कोल ब्लॉक का भी आबंटन कर दिया है, ताकि इन प्लांटों को कोयले की भी कमी ना रहे। अभी मध्यप्रदेश जनरेटिंग कम्पनी के विद्युत गृहों से साढ़े 4 हजार मेगावॉट, तो जल विद्युत संयंत्रों से 922, केन्द्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृह से 5 हजार 85 मेगावॉट और संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य के माध्यम से साढ़े 4 हजार मेगावॉट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह से 100 मेगावॉट और सौर ऊर्जा से 5277 मेगावॉट बिजली बनती है।