मेडिकल कॉलेज में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध के लिए शासन की ओर से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सरकारी चिकित्सीय व्यवस्था में मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज के लिए मजबूर करने वाले चिकित्सकों पर जिलाधिकारी की नजर होगी। इसके साथ ही ऐसे चिकित्सकों में प्राइवेट प्रैक्टिस की पुष्टि होने के बाद उनसे प्रैक्टिस बंदी भत्ता वसूला जाएगा और निजी अस्पताल के साथ चिकित्सक का लाइसेंस भी जांच के बाद निरस्त किया जाएगा।निजी प्रैक्टिस पर रोकथाम के लिए शासन स्तर पर लगातार की जा रही कार्रवाई का असर शहर में देखने को मिल रहा है। निजी प्रैक्टिस में मशगूल सरकारी और अनुबंध वाले चिकित्सक अब अपनी ओपीडी में पूरा समय दे रहे हैं। इससे मरीजों को भी फायदा मिल रहा है।

डॉ. राघवेंद्र का किया गया था तबादला

वहीं, सरकारी चिकित्सालयों में सर्जरी की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।  कुछ दिन पहले शासन ने मनमानी करने वाले चिकित्सकों पर कड़ा रुख अपनाते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सह आचार्य न्यूरो सर्जन को राजकीय मेडिकल कॉलेज झांसी स्थानांतरित किया गया।